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2- सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु
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कक्षा 8 विज्ञान 2- सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु






 

सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु 🦠

कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 2 को समझें, खेल-खेल में!


सूक्ष्मजीवों की दुनिया में आपका स्वागत है!

इस एप्लिकेशन में, हम सूक्ष्मजीवों की अद्भुत दुनिया का पता लगाएंगे। ये इतने छोटे जीव होते हैं जिन्हें हम अपनी नग्न आँखों से नहीं देख सकते, लेकिन वे हमारे जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुछ सूक्ष्मजीव हमारे दोस्त होते हैं जो कई उपयोगी काम करते हैं, जबकि कुछ हमारे शत्रु होते हैं जो हमें और पौधों व जानवरों को बीमार कर सकते हैं। आइए, इस रोमांचक यात्रा को शुरू करें और इन अदृश्य जीवों के बारे में विस्तार से जानें!

सूक्ष्मजीव क्या हैं और उनके प्रकार

सूक्ष्मजीव बहुत छोटे जीव होते हैं जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती है। इन्हें मुख्य रूप से चार वर्गों में बाँटा गया है। विषाणु इनसे भिन्न होते हुए भी इसी वर्ग में शामिल किए जाते हैं।

सूक्ष्मजीव बर्फीली ठंड से लेकर गर्म झरनों तक, और मरुस्थल से दलदल तक, हर प्रकार की परिस्थिति में जीवित रह सकते हैं। ये वायु, जल, मिट्टी, पौधों और जंतुओं के शरीर के अंदर भी पाए जाते हैं। कुछ सूक्ष्मजीव अकेले रहते हैं (जैसे अमीबा), जबकि कुछ समूह में रहते हैं (जैसे कवक और जीवाणु)।

जीवाणु

जीवाणु (Bacteria)

एककोशिकीय जीव जो विभिन्न आकारों (जैसे स्पाइरल, छड़नुमा) में पाए जाते हैं।

कवक

कवक (Fungi)

बहुकोशिकीय जीव जो ब्रेड पर उगने वाले मोल्ड (फफूँद) के रूप में देखे जा सकते हैं।

प्रोटोजोआ

प्रोटोजोआ (Protozoa)

एककोशिकीय जीव जैसे अमीबा और पैरामीशियम, जो अक्सर पानी में पाए जाते हैं।

शैवाल

शैवाल (Algae)

हरे पौधे जैसे जीव जो पानी में पाए जाते हैं, कुछ एककोशिकीय और कुछ बहुकोशिकीय होते हैं।

विषाणु

विषाणु (Virus)

अन्य सूक्ष्मजीवों से भिन्न, ये केवल परपोषी (होस्ट) कोशिकाओं (जैसे जीवाणु, पौधे या जंतु कोशिका) में ही गुणन करते हैं।

मित्रवत सूक्ष्मजीव: हमारे दोस्त

सूक्ष्मजीव हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण और लाभदायक भूमिकाएँ निभाते हैं। आइए उनके कुछ उपयोगों को जानें।

दही, ब्रेड और केक बनाना

लैकटोबैसिलस जीवाणु दूध को दही में बदलता है। यीस्ट का उपयोग ब्रेड और केक को फुलाने में होता है।

दही में अनेक सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं जिनमें लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु प्रमुख है जो दूध को दही में परिवर्तित कर देता है। यीस्ट तीव्रता से जनन करके श्वसन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड उत्पादित करते हैं, जिससे मैदे का आयतन बढ़ता है। यह बेकिंग उद्योग का आधार है।

वाणिज्यिक उपयोग (अल्कोहल उत्पादन)

बड़े पैमाने पर अल्कोहल, शराब और एसिटिक एसिड बनाने में उपयोग।

जौ, गेहूँ, चावल और फलों के रस में उपस्थित प्राकृतिक शर्करा में यीस्ट द्वारा अल्कोहल और शराब का उत्पादन किया जाता है। चीनी के अल्कोहल में परिवर्तन की यह प्रक्रिया **किण्वन (फर्मेंटेशन)** कहलाती है। लुई पाश्चर ने 1857 में किण्वन की खोज की थी।

औषधीय उपयोग (प्रतिजैविक और टीके)

बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने वाली दवाएँ (प्रतिजैविक) और रोगों से बचाने वाले टीके।

**प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक):** ये औषधियाँ बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट करती हैं या उनकी वृद्धि को रोकती हैं। स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन सामान्य प्रतिजैविक हैं। अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने 1929 में पेनिसिलिन की खोज की। पशु आहार और कुक्कुट आहार में भी प्रतिजैविक मिलाए जाते हैं जिसका उपयोग पशुओं में सूक्ष्मजीवों का संचरण रोकना है। प्रतिजैविक का उपयोग कुछ पौधों के रोग नियंत्रण के लिए भी किया जाता है।

**सावधानियाँ:** डॉक्टर की सलाह पर ही प्रतिजैविक दवाएँ लेनी चाहिए और कोर्स पूरा करना चाहिए। अनावश्यक उपयोग से अगली बार दवा कम प्रभावी हो सकती है और शरीर के उपयोगी जीवाणु भी नष्ट हो सकते हैं। सर्दी-जुकाम और फ्लू में ये प्रभावशाली नहीं हैं क्योंकि ये रोग विषाणु द्वारा होते हैं।

**वैक्सीन (टीका):** मृत या निष्क्रिय सूक्ष्मजीवों को शरीर में प्रविष्ट कराकर शरीर को प्रतिरक्षी उत्पन्न करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे भविष्य में रोगों से सुरक्षा मिलती है। हैजा, क्षय, चेचक तथा हैपेटाइटिस जैसी अनेक बीमारियों को वैक्सीन द्वारा रोका जा सकता है। एडवर्ड जेनर ने 1798 में चेचक के टीके की खोज की थी। चेचक के विरुद्ध विश्वव्यापी अभियान चलाया गया जिसके परिणामस्वरूप विश्व के अधिकांश भागों से चेचक का उन्मूलन हो गया।

मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि

कुछ जीवाणु और नीले-हरे शैवाल मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाते हैं।

राइजोबियम जैसे जीवाणु और नीले-हरे शैवाल वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके मिट्टी में नाइट्रोजन यौगिकों को बढ़ाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है। इन्हें जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकारक कहते हैं।

पर्यावरण का शुद्धिकरण

मृत जैविक अवशेषों का अपघटन करके पर्यावरण को साफ रखते हैं।

सूक्ष्मजीव मृत पौधों और जंतुओं के अवशेषों (जैसे सब्जियों के छिलके, गोबर, विष्ठा) का अपघटन करके उन्हें सरल और हानिरहित पदार्थों में बदल देते हैं। यह प्रक्रिया पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करती है और पोषक तत्वों को पुनः उपयोग के लिए उपलब्ध कराती है। गमला ‘A’ और ‘B’ की गतिविधि से यह स्पष्ट होता है कि सूक्ष्मजीव केवल जैविक पदार्थों का अपघटन कर सकते हैं, प्लास्टिक या काँच जैसी अजैविक वस्तुओं का नहीं।

हानिकारक सूक्ष्मजीव: हमारे शत्रु

कुछ सूक्ष्मजीव मनुष्य, जंतुओं और पौधों में रोग उत्पन्न करते हैं। इन रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों को **रोगाणु** अथवा **रोगजनक** कहते हैं। कुछ सूक्ष्मजीव भोजन, कपड़े एवं चमड़े की वस्तुओं को संदूषित कर देते हैं।

आइए, उनकी हानिकारक गतिविधियों के विषय में और अधिक जानकारी प्राप्त करें।

मनुष्य में रोग

सूक्ष्मजीवों द्वारा फैलने वाले रोग (संचरणीय रोग) जैसे हैजा, जुकाम, चिकनपॉक्स।

रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीव श्वास द्वारा, पेय जल एवं भोजन द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। संक्रमित व्यक्ति अथवा जंतु के सीधे संपर्क में आने पर भी रोग का संचरण हो सकता है। सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले ऐसे रोग जो एक संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में वायु, जल, भोजन अथवा कायिक संपर्क द्वारा फैलते हैं, **संचरणीय रोग** कहलाते हैं।

जब जुकाम से पीड़ित कोई व्यक्ति छींकता है तो सूक्ष्म बूँदों के साथ हजारों रोगकारक वायरस (विषाणु) भी वायु में आ जाते हैं। कुछ कीट एवं जंतु ऐसे भी हैं जो रोगकारक सूक्ष्मजीवों के **रोग-वाहक** का कार्य करते हैं, जैसे घरेलू मक्खी (भोजन दूषित करती है) और मच्छर (मादा एनॉफ्लीज़ – मलेरिया, मादा एडीस – डेंगू)। संचरणीय रोगों को रोकने के लिए छींकते समय मुँह और नाक पर रूमाल रखना चाहिए, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखनी चाहिए, भोजन को ढककर रखना चाहिए और अपने आस-पास पानी एकत्रित न होने देना चाहिए।

मनुष्य में कुछ सामान्य रोग:

रोगरोगकारक सूक्ष्मजीवसंचरण का तरीका
क्षयरोग (TB)जीवाणुवायु
खसरावायरसवायु
चिकनपॉक्सवायरसवायु/सीधे संपर्क
पोलियोवायरसवायु/जल
हैजाजीवाणुजल/भोजन
टाइफाइडजीवाणुजल
हैपेटाइटिस-Aवायरसजल
मलेरियाप्रोटोजोआमच्छर

जंतुओं में रोग

एंथ्रेक्स और मवेशियों में खुर एवं मुँह का रोग।

सूक्ष्मजीव मनुष्य के अलावा जंतुओं में भी रोग उत्पन्न करते हैं। **एंथ्रेक्स** मनुष्य और मवेशियों में होने वाला एक भयानक रोग है जो जीवाणु (बैसिलस एन्थेसिस, रॉबर्ट कोच ने 1876 में खोजा) द्वारा होता है। गाय में **खुर एवं मुँह का रोग** वायरस द्वारा होता है।

पौधों में रोग

गेहूँ, चावल, आलू, गन्ना, संतरा, सेब आदि में रोग।

अनेक सूक्ष्मजीव गेहूँ, चावल, आलू, गन्ना, संतरा, सेब इत्यादि पौधों में रोग के कारक हैं, जिससे फसल की उपज में कमी आती है। कुछ रसायनों का प्रयोग करके इन सूक्ष्मजीवों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

कुछ सामान्य पादप रोग:

पादप रोगसूक्ष्मजीवसंचरण का तरीका
नींबू कैंकरजीवाणुवायु
गेहूँ की रस्टकवकवायु एवं बीज
भिंडी की पीत (Yellow Vein Mosaic)वायरसकीट

खाद्य विषाक्तन (Food Poisoning)

दूषित भोजन से होने वाली गंभीर बीमारी।

सूक्ष्मजीवों द्वारा संदूषित भोजन करने से खाद्य विषाक्तन हो सकता है। हमारे भोजन में उत्पन्न होने वाले सूक्ष्मजीव कभी-कभी विषैले पदार्थ उत्पन्न करते हैं, जिससे भोजन विषाक्त हो जाता है। इसके सेवन से व्यक्ति भयंकर रूप से रोगी हो सकता है अथवा कभी-कभी उसकी मृत्यु भी हो सकती है। अतः यह आवश्यक है कि हम भोजन को संदूषित होने से बचाएँ। संदूषित भोजन से दुर्गंध आने लगती है, इसका स्वाद भी खराब हो जाता है तथा रंग-रूप में भी परिवर्तन आ सकता है।

खाद्य परिरक्षण: भोजन को सुरक्षित रखना

सूक्ष्मजीवों से भोजन को खराब होने से बचाने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जाते हैं।

रासायनिक उपाय

रासायनिक उपाय

नमक एवं खाद्य तेल का उपयोग सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रोकने के लिए सामान्य रूप से किया जाता है। सोडियम बेंजोएट तथा सोडियम मेटाबाइसल्फाइट सामान्य परिरक्षक हैं।

नमक द्वारा परिरक्षण

नमक द्वारा परिरक्षण

सामान्य नमक का उपयोग मांस एवं मछली के परिरक्षण के लिए किया जाता है। नमक का उपयोग आम, आँवला एवं इमली के परिरक्षण में भी किया जाता है।

चीनी द्वारा परिरक्षण

चीनी द्वारा परिरक्षण

जैम, जेली एवं स्क्वैश का परिरक्षण चीनी द्वारा किया जाता है। चीनी के प्रयोग से खाद्य पदार्थ की नमी में कमी आती है जो संदूषण करने वाले जीवाणुओं की वृद्धि को नियंत्रित करता है।

तेल एवं सिरके द्वारा परिरक्षण

तेल एवं सिरके द्वारा परिरक्षण

तेल एवं सिरके का उपयोग अचार को संदूषण से बचाने में किया जाता है क्योंकि इसमें जीवाणु जीवित नहीं रह सकते। सब्जियाँ, फल, मछली तथा मांस का परिरक्षण इस विधि द्वारा करते हैं।

गर्म एवं ठंडा करना

गर्म एवं ठंडा करना

दूध उबालने से अनेक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। कम ताप सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकता है, इसलिए भोजन को रेफ्रीजरेटर में रखते हैं।

भण्डारण एवं पैकिंग

भण्डारण एवं पैकिंग

आजकल मेवे तथा सब्जियाँ भी वायुरोधी सील किए गए पैकेटों में बेचे जाते हैं, जिससे सूक्ष्मजीवों से सुरक्षा होती है।

पॉश्चरीकरण

पॉश्चरीकरण

दूध को $70^{underline{o}}C$ पर 15-30 सेकंड के लिए गर्म करते हैं फिर एकाएक ठंडा कर उसका भण्डारण कर लेते हैं। इससे सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रुक जाती है। इस प्रक्रिया की खोज लुई पाश्चर ने की थी।

नाइट्रोजन चक्र: प्रकृति का संतुलन

हमारे वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन गैस है। नाइट्रोजन सभी सजीवों का आवश्यक संघटक है जो प्रोटीन, पर्णहरित (क्लोरोफिल), न्यूक्लिक एसिड एवं विटामिन में उपस्थित होता है। पौधे एवं जंतु वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग सीधे नहीं कर सकते। आइए देखें कि यह कैसे चक्रित होती है।

1️⃣

वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण

मिट्टी में उपस्थित जीवाणु (जैसे राइजोबियम) और नीले-हरे शैवाल वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके नाइट्रोजन यौगिकों में परिवर्तित कर देते हैं। कभी-कभी तड़ित विद्युत द्वारा भी नाइट्रोजन का स्थिरीकरण होता है।

2️⃣

पौधों द्वारा अवशोषण

जब नाइट्रोजन उपयोगी यौगिकों में परिवर्तित हो जाती है, तो पौधे इसका उपयोग मिट्टी में से जड़ तंत्र द्वारा करते हैं। इसके पश्चात् अवशोषित नाइट्रोजन का उपयोग प्रोटीन एवं अन्य यौगिकों के संश्लेषण में करते हैं।

3️⃣

जंतुओं में नाइट्रोजन

पौधों पर निर्भर करने वाले जंतु उनसे प्रोटीन एवं अन्य नाइट्रोजनी यौगिक प्राप्त करते हैं।

4️⃣

अपघटन और पुनः उपयोग

पौधों एवं जंतुओं की मृत्यु के बाद, मिट्टी में उपस्थित जीवाणु एवं कवक नाइट्रोजनी अपशिष्ट को नाइट्रोजनी यौगिकों में परिवर्तित कर देते हैं जो पौधों द्वारा पुनः उपयोग होता है।

5️⃣

नाइट्रोजन गैस में परिवर्तन

कुछ विशिष्ट जीवाणु नाइट्रोजनी यौगिकों को नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित कर देते हैं जो वायुमंडल में चली जाती है। परिणामस्वरूप, वायुमंडल में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग स्थिर रहती है।

नाइट्रोजन चक्र आरेख

 



अध्याय 2 सूक्ष्म जीव : मित्र एवं शत्रु :- अभ्यास प्रश्नोत्तर

सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु – अभ्यास प्रश्नोत्तर

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

प्रश्न (क): सूक्ष्मजीवों को ____ की सहायता से देखा जा सकता है। 

उत्तर: सूक्ष्मजीवों को सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है।

प्रश्न (ख): नीले-हरे शैवाल वायु से ____ का स्थिरीकरण करते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है। 

उत्तर: नीले-हरे शैवाल वायु से नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है।

प्रश्न (ग): एल्कोहल का उत्पादन ____ नामक सूक्ष्मजीव की सहायता से किया जाता है। 

उत्तर: एल्कोहल का उत्पादन यीस्टनामक सूक्ष्मजीव की सहायता से किया जाता है।

प्रश्न (घ): हैजा ____ के द्वारा होता है। 

उत्तर: हैजा जीवाणु के द्वारा होता है।

2. सही शब्द के आगे (✓) का निशान लगाइए:

प्रश्न (क): यीस्ट का उपयोग निम्न के उत्पादन में होता है: (i) चीनी (ii) एल्कोहल (iii) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (iv) ऑक्सीजन 

उत्तर: (ii) एल्कोहल (✓)

प्रश्न (ख): निम्न में से कौन सा प्रतिजैविक है? (i) सोडियम बाइकार्बोनेट (ii) स्ट्रेप्टोमाइसिन (iii) एल्कोहल (iv) यीस्ट 

उत्तर: (ii) स्ट्रेप्टोमाइसिन (✓)

प्रश्न (ग): मलेरिया परजीवी का वाहक है: (i) मादा एनॉफ्लीज़ मच्छर (ii) कॉकरोच (iii) ड्रेगन मक्खी (iv) तितली 

उत्तर: (i) मादा एनॉफ्लीज़ मच्छर (✓)

प्रश्न (घ): संचरणीय रोगों का सबसे मुख्य कारक है: (i) चींटी (ii) घरेलू मक्खी (iii) ड्रेगन मक्खी (iv) मकड़ी

उत्तर: (ii) घरेलू मक्खी (✓)

प्रश्न (ङ): ब्रेड अथवा इडली फूल जाती है इसका कारण है: (i) ऊष्णता (ii) पीसना (iii) यीस्ट कोशिकाओं की वृद्धि (iv) माड़ने के कारण

उत्तर: (iii) यीस्ट कोशिकाओं की वृद्धि (✓)

प्रश्न (च): चीनी को एल्कोहल में परिवर्तित करने के प्रक्रम का नाम है: (i) नाइट्रोजन स्थिरीकरण (ii) मोल्डिंग (iii) किण्वन (iv) संक्रमण 

उत्तर: (iii) किण्वन (✓)

3. कॉलम-I के जीवों का मिलान कॉलम-II में दिए गए उनके कार्य से कीजिए:

प्रश्न: कॉलम-I के जीवों का मिलान कॉलम-II में दिए गए उनके कार्य से कीजिए:

कॉलम-I

कॉलम-II

(क) जीवाणु

(v) हैजा का कारक

(ख) राइजोबियम

(i) नाइट्रोजन स्थिरीकरण

(ग) लैक्टोबैसिलस

(ii) दही का जमना

(घ) यीस्ट

(iii) ब्रेड की बेकिंग

(ङ) एक प्रोटोजोआ

(iv) मलेरिया का कारक

(च) एक विषाणु

(vi) AIDS का कारक (याद रखें, HIV वायरस है)

उत्तर:

कॉलम-I

कॉलम-II

(क) जीवाणु

(v) हैजा का कारक

(ख) राइजोबियम

(i) नाइट्रोजन स्थिरीकरण

(ग) लैक्टोबैसिलस

(ii) दही का जमना

(घ) यीस्ट

(iii) ब्रेड की बेकिंग

(ङ) एक प्रोटोजोआ

(iv) मलेरिया का कारक

(च) एक विषाणु

(vi) AIDS का कारक

4. क्या सूक्ष्मजीव बिना यंत्र की सहायता से देखे जा सकते हैं? यदि नहीं, तो वे कैसे देखे जा सकते हैं?

उत्तर: नहीं, सूक्ष्मजीवों को बिना यंत्र की सहायता से नहीं देखा जा सकता है। वे इतने छोटे होते हैं कि उन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी (Microscope) की आवश्यकता होती है। सूक्ष्मदर्शी की मदद से ही हम उन्हें देख और उनका अध्ययन कर सकते हैं।

5. सूक्ष्मजीवों के मुख्य वर्ग कौन-कौन से हैं?

उत्तर: सूक्ष्मजीवों को मुख्य रूप से चार वर्गों में बाँटा गया है। विषाणु (वायरस) इनसे भिन्न होते हुए भी इसी वर्ग में शामिल किए जाते हैं। ये वर्ग हैं:

  1. जीवाणु (Bacteria)

  2. कवक (Fungi)

  3. प्रोटोजोआ (Protozoa)

  4. शैवाल (Algae)

  5. विषाणु (Virus)

6. वायुमंडलीय नाइट्रोजन का मिट्टी में स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्मजीवों के नाम लिखिए।

उत्तर: वायुमंडलीय नाइट्रोजन का मिट्टी में स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्मजीवों के नाम हैं:

  1. राइजोबियम जीवाणु (Rhizobium Bacteria): ये फलीदार पौधों (जैसे चना, मटर, सेम) की जड़ों की ग्रंथिकाओं में रहते हैं।

  2. नीले-हरे शैवाल (Blue-Green Algae) / सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria): ये मिट्टी और पानी में पाए जाते हैं।

7. हमारे जीवन में उपयोगी सूक्ष्मजीवों के बारे में 10 पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर: हमारे जीवन में उपयोगी सूक्ष्मजीवों के बारे में 10 पंक्तियाँ:

  1. ये दही, ब्रेड और केक बनाने में सहायक होते हैं।

  2. इनका उपयोग बड़े पैमाने पर एल्कोहल, शराब और एसिटिक एसिड के उत्पादन में किया जाता है (किण्वन प्रक्रिया द्वारा)।

  3. कुछ सूक्ष्मजीवों से प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) औषधियाँ बनाई जाती हैं, जो बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट करती हैं।

  4. ये टीके (वैक्सीन) बनाने में भी उपयोग होते हैं, जो हमें अनेक रोगों से बचाते हैं।

  5. राइजोबियम जैसे जीवाणु मिट्टी में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके उसकी उर्वरता बढ़ाते हैं।

  6. ये मृत जैविक अपशिष्टों (जैसे पौधों और जंतुओं के अवशेष) का अपघटन करके पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं।

  7. ये पनीर, अचार और अनेक खाद्य पदार्थों के उत्पादन में सहायक हैं।

  8. कुछ सूक्ष्मजीव (जैसे लैक्टोबैसिलस) पाचन में सहायता करते हैं।

  9. ये सीवेज (मलजल) के उपचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  10. कुछ सूक्ष्मजीवों का उपयोग जैव-ईंधन (बायोफ्यूल) के उत्पादन में भी किया जाता है।

8. सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले हानिकारक प्रभावों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

उत्तर: सूक्ष्मजीव अनेक प्रकार से हानिकारक होते हैं:

  1. मनुष्यों में रोग: कुछ सूक्ष्मजीव (रोगाणु/रोगजनक) मनुष्यों में कई गंभीर रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे हैजा, टाइफाइड, क्षयरोग (TB), खसरा, चिकनपॉक्स, पोलियो, मलेरिया और हैपेटाइटिस-A। ये वायु, जल, भोजन या सीधे संपर्क से फैल सकते हैं।

  2. जंतुओं में रोग: ये केवल मनुष्यों में ही नहीं, बल्कि दूसरे जंतुओं में भी रोग उत्पन्न करते हैं। उदाहरण के लिए, एंथ्रेक्स (जीवाणु द्वारा) और मवेशियों में खुर एवं मुँह का रोग (वायरस द्वारा)।

  3. पौधों में रोग: अनेक सूक्ष्मजीव गेहूँ की रस्ट, नींबू कैंकर और भिंडी की पीत (Yellow Vein Mosaic) जैसे पौधों के रोगों के कारक हैं, जिससे फसल की उपज में कमी आती है।

  4. खाद्य विषाक्तन (Food Poisoning): कुछ सूक्ष्मजीव भोजन में वृद्धि करके विषैले पदार्थ उत्पन्न करते हैं, जिससे भोजन विषाक्त हो जाता है। ऐसे भोजन का सेवन करने से व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

  5. सामानों को संदूषित करना: कुछ सूक्ष्मजीव भोजन, कपड़े, चमड़े की वस्तुओं और अन्य सामग्रियों को खराब या संदूषित कर देते हैं।

9. प्रतिजैविक क्या हैं? प्रतिजैविक लेते समय कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?

उत्तर: प्रतिजैविक (Antibiotics): प्रतिजैविक ऐसी औषधियाँ हैं जो बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों (मुख्यतः जीवाणु और कुछ कवक) को नष्ट कर देती हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोक देती हैं। आजकल जीवाणु और कवक से अनेक प्रतिजैविक औषधियों का उत्पादन हो रहा है, जैसे स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन और एरिथ्रोमाइसिन।

प्रतिजैविक लेते समय रखनी चाहिए ये सावधानियाँ:

  1. डॉक्टर की सलाह: प्रतिजैविक की दवाएँ हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए।

  2. कोर्स पूरा करना: डॉक्टर द्वारा बताए गए दवा का कोर्स हमेशा पूरा करना चाहिए, भले ही आप बेहतर महसूस करने लगें। कोर्स पूरा न करने पर संक्रमण पूरी तरह से ठीक नहीं होता और जीवाणु दवा के प्रति प्रतिरोधी (resistant) बन सकते हैं।

  3. अनावश्यक उपयोग से बचें: प्रतिजैविक का अनावश्यक रूप से उपयोग नहीं करना चाहिए। यदि आप इन्हें उस समय लेंगे जब इनकी आवश्यकता नहीं है (जैसे सर्दी-जुकाम या फ्लू में, जो विषाणु से होते हैं), तो अगली बार जब आपको इनकी आवश्यकता होगी तो वे उतनी प्रभावी नहीं होंगी।

  4. उपयोगी जीवाणुओं को नुकसान: अनावश्यक रूप से ली गई प्रतिजैविक शरीर में उपस्थित उपयोगी जीवाणुओं (जैसे पाचन में सहायक) को भी नष्ट कर सकती हैं।

10. विस्तारित अधिगम – क्रियाकलाप एवं परियोजनाएँ:

यह प्रश्न एक परियोजना या क्रियाकलाप है, जिसका उत्तर सीधे तौर पर नहीं दिया जा सकता, बल्कि इसे करके सीखना होता है। यहाँ इस परियोजना का उद्देश्य और अपेक्षित अवलोकन बताया गया है:

परियोजना: चीनी और यीस्ट के किण्वन का अवलोकन

उद्देश्य: यह समझना कि यीस्ट कैसे चीनी को एल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित करता है, जिससे आटा फूलता है।

अपेक्षित अवलोकन:

  • परखनली ‘A’ (केवल चीनी और पानी): इसमें कोई खास बदलाव नहीं होगा, क्योंकि किण्वन के लिए यीस्ट मौजूद नहीं है।

  • परखनली ‘B’ (चीनी, पानी और यीस्ट पाउडर):

    • कुछ घंटों बाद, गुँथा हुआ मैदा (या परखनली के ऊपर लगा गुब्बारा) फूल जाएगा। ऐसा यीस्ट द्वारा श्वसन के दौरान उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बुलबुलों के कारण होता है।

    • विलयन को सूंघने पर एल्कोहल जैसी गंध आएगी, जो चीनी के एल्कोहल में परिवर्तित होने का संकेत है।

  • चूने के पानी का परीक्षण: जब परखनली ‘B’ से निकली गैस को चूने के पानी (कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड) में प्रवाहित किया जाएगा और हिलाया जाएगा, तो चूने का पानी दूधिया हो जाएगा। यह इस बात का प्रमाण है कि किण्वन प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO2) उत्पन्न हुई है।

निष्कर्ष: यह क्रियाकलाप किण्वन प्रक्रिया को दर्शाता है, जिसमें यीस्ट चीनी को एल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदलता है। यह बेकिंग उद्योग में यीस्ट के उपयोग का आधार है।