कक्षा 8 विज्ञान 1. फसल : उत्पादन एवं प्रबंधन
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दहन और ज्वाला 🔥
कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 4 को समझें, खेल-खेल में! – CoachingCraze.com
दहन और ज्वाला: एक परिचय
हम घर पर, उद्योगों में और वाहनों को चलाने के लिए विभिन्न प्रकार के ईंधनों का उपयोग विविध प्रयोजन के लिए करते हैं। क्या आप अपने घरों में प्रयुक्त होने वाले कुछ ईंधनों के नाम बता सकते हैं? व्यापार और उद्योगों में उपयोग होने वाले कुछ ईंधनों के नाम बताइए। मोटर-गाड़ियाँ चलाने में कौन से ईंधन काम में आते हैं? आपकी सूची में सम्मिलित ईंधन होंगे: गोबर, लकड़ी, कोयला, काष्ठ-कोयला, पेट्रोल, डीज़ल, संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) आदि।
आप मोमबत्ती के जलने से परिचित हैं। मोमबत्ती के जलने और कोयले जैसे ईंधन के जलने में क्या अंतर है? शायद आपका अनुमान सही था। मोमबत्ती ज्वाला के साथ जलती है जबकि कोयला नहीं। इसी प्रकार, आप अनेक ऐसे पदार्थ पाएँगे जो बिना ज्वाला के जलते हैं। आइए, जलने के रासायनिक प्रक्रम और इस प्रक्रम में उत्पन्न ज्वाला के प्ररूपों का अध्ययन करें।
4.1 दहन क्या है? (What is Combustion?)
कक्षा VII में मैग्नीशियम दहन के क्रियाकलाप का स्मरण करिए। हमने देखा था कि मैग्नीशियम जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है और ऊष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न करता है (चित्र 4.1)।
इसी प्रकार का क्रियाकलाप हम एक काष्ठ-कोयले का टुकड़ा लेकर कर सकते हैं। काष्ठ-कोयले के टुकड़े को संडासी से पकड़िए और एक मोमबत्ती अथवा बुसेन बर्नर की ज्वाला के निकट लाइए। आप क्या देखते हैं? हम पाते हैं कि काष्ठ-कोयला वायु में जलता है। हम जानते हैं कि काष्ठ-कोयला वायु में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड, ऊष्मा और प्रकाश देता है।
रासायनिक प्रक्रम जिसमें पदार्थ ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर ऊष्मा देता है, **दहन (Combustion)** कहलाता है। जिस पदार्थ का दहन होता है, वह **दाह्य (Combustible)** कहलाता है। इसे **ईंधन (Fuel)** भी कहते हैं। ईंधन ठोस, द्रव या गैस हो सकता है। कभी-कभी, दहन के समय ज्वाला के रूप में अथवा एक लौ के रूप में प्रकाश भी उत्पन्न होता है। ऊपर दी गई अभिक्रियाओं में मैग्नीशियम और काष्ठ-कोयला दाह्य पदार्थ हैं।
हमें बताया गया था कि भोजन हमारे शरीर के लिए एक ईंधन है। यह ठीक ही तो है। हमारे शरीर में भोजन ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर अपघटित होता है और ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह हमने कक्षा VII में सीखा था।
क्रियाकलाप 4.1: दाह्य और अदाह्य पदार्थ (Combustible and Non-combustible Substances)
**उद्देश्य:** विभिन्न पदार्थों की दाह्यता की पहचान करना।
**सामग्री:** स्ट्रा, माचिस की तीलियाँ, मिट्टी का तेल, कागज़, लोहे की कीलें, पत्थर के टुकड़े, शीशा, लकड़ी, काष्ठ-कोयला।
**विधि:** अपने शिक्षक की देख-रेख में, इन पदार्थों को एक-एक कर जलाइए। यदि पदार्थ जलता है तो इसे दाह्य दिखाइए, अन्यथा उसे अदाह्य दिखाइए (सारणी 4.1)।
पदार्थ | दाह्य | अदाह्य |
---|---|---|
लकड़ी | ✔ | |
कागज़ | ✔ | |
लोहे की कीलें | ✔ | |
मिट्टी का तेल | ✔ | |
पत्थर का टुकड़ा | ✔ | |
स्ट्रा | ✔ | |
काष्ठ-कोयला | ✔ | |
माचिस की तीलियाँ | ✔ | |
काँच | ✔ |
**निष्कर्ष:** इस क्रियाकलाप से हम यह समझते हैं कि कुछ पदार्थ जलते हैं (दाह्य) और कुछ नहीं जलते (अदाह्य)। दाह्य पदार्थों को ईंधन भी कहते हैं।
दहन के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ (Conditions Necessary for Combustion)
क्रियाकलाप 4.2: दहन के लिए वायु आवश्यक है (Air is Essential for Combustion)
**उद्देश्य:** दहन के लिए वायु (ऑक्सीजन) की आवश्यकता को प्रदर्शित करना।
**सावधानी:** जलती मोमबत्ती को पकड़ते समय सावधानी रखिए।
**सामग्री:** एक जलती मोमबत्ती, काँच की चिमनी, लकड़ी के दो गुटके, एक काँच की प्लेट।
**विधि:**
- एक जलती मोमबत्ती को मेज़ के ऊपर रखिए। काँच की चिमनी को मोमबत्ती के ऊपर लकड़ी के दो गुटकों की सहायता से इस प्रकार रखिए कि वायु का चिमनी में प्रवेश होता रहे (चित्र 4.2a)। देखिए, ज्वाला को क्या होता है।
- अब लकड़ी के गुटके हटा कर चिमनी को मेज़ पर टिका दीजिए (चित्र 4.2b)। पुनः ज्वाला को देखिए।
- अंत में एक काँच की प्लेट चिमनी के ऊपर रख दीजिए (चित्र 4.2c)। ज्वाला को पुनः देखिए।
**प्रेक्षण:**
- **अवस्था (a):** मोमबत्ती निर्बाध रूप से जलती है, क्योंकि वायु चिमनी में नीचे से प्रवेश कर सकती है।
- **अवस्था (b):** जब चिमनी में नीचे से वायु प्रवेश नहीं कर पाती तो ज्वाला में कम्पन होता है और धुआँ उत्पन्न होता है।
- **अवस्था (c):** ज्वाला बुझ जाती है क्योंकि उसे वायु उपलब्ध नहीं हो पाती।
**निष्कर्ष:** हम पाते हैं कि दहन के लिए वायु (ऑक्सीजन) आवश्यक है।
क्रियाकलाप 4.3: ज्वलन-ताप का महत्व (Importance of Ignition Temperature)
**उद्देश्य:** यह समझना कि दहन के लिए पदार्थ का ताप उसके ज्वलन-ताप तक पहुँचना आवश्यक है।
**सामग्री:** एक जलता हुआ लकड़ी या लकड़ी के कोयले का टुकड़ा, लोहे की प्लेट या तवा, काँच का जार/पारदर्शक प्लास्टिक जार, माचिस की तीली, कागज़ का टुकड़ा, लकड़ी का टुकड़ा, मिट्टी का तेल।
**विधि:**
- एक लकड़ी या लकड़ी के कोयले का जलता हुआ टुकड़ा लोहे की प्लेट या तवे पर रखिए। इसे एक काँच के जार अथवा पारदर्शक प्लास्टिक जार से ढक दीजिए। देखिए, क्या होता है? क्या कुछ समय बाद लकड़ी का कोयला जलना बंद हो जाता है?
- अपने कुछ अनुभवों को स्मरण करिए: क्या एक माचिस की तीली अपने आप जल उठती है? यह किस प्रकार जलाई जाती है?
- आपको कागज़ के टुकड़े को जलाने का अनुभव अवश्य होगा। जब जलती हुई माचिस की तीली इसके पास लाते हैं तो क्या यह जल उठता है?
- क्या आप लकड़ी के एक टुकड़े को, जलती माचिस की तीली उसके पास ला कर जला सकते हैं?
- लकड़ी या कोयले को जलाने के लिए आपको कागज़ अथवा मिट्टी के तेल का उपयोग क्यों करना पड़ता है?
**प्रेक्षण एवं निष्कर्ष:**
- जार से ढकने पर लकड़ी का कोयला जलना बंद हो जाता है क्योंकि उसे वायु (ऑक्सीजन) नहीं मिल पाती।
- माचिस की तीली अपने आप नहीं जलती, लेकिन रगड़ने पर घर्षण की ऊष्मा से जल जाती है।
- कागज़ का टुकड़ा माचिस की तीली से आसानी से जल जाता है।
- लकड़ी का एक टुकड़ा सीधे माचिस की तीली से नहीं जलता। उसे जलाने के लिए कागज़ या मिट्टी के तेल (जिनका ज्वलन-ताप कम होता है) का उपयोग करना पड़ता है।
यह अनुभव आपको बताते हैं कि विभिन्न पदार्थ विभिन्न ताप पर आग पकड़ते हैं। वह न्यूनतम ताप जिस पर कोई पदार्थ जलने लगता है, उसका **ज्वलन-ताप (Ignition Temperature)** कहलाता है।
कमरे के ताप पर माचिस की तीली अपने आप आग नहीं पकड़ती क्योंकि उसका ताप उसके ज्वलन-ताप से कम होता है। माचिस की तीली, माचिस की डिबिया के बगल में रगड़ने पर घर्षण की ऊष्मा से उसके ज्वलन-ताप तक पहुँच जाती है और जल जाती है।
क्या आपने कभी भोजन पकाने वाले तेल को आग पकड़ते देखा है, जब तलने वाला बर्तन लम्बे समय तक जलते हुए स्टोव पर रखा रहता है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तेल का ताप उसके ज्वलन-ताप तक पहुँच जाता है। कमरे के ताप पर मिट्टी का तेल और लकड़ी अपने आप आग नहीं पकड़ते। परंतु यदि मिट्टी के तेल को थोड़ा गर्म कर दें तो वह आग पकड़ लेता है। इसका ज्वलन-ताप लकड़ी के ज्वलन ताप से कम है। इसका अर्थ है कि मिट्टी के तेल के रखने में हमें विशेष सावधानी बरतनी होगी।
माचिस का इतिहास (History of Matchstick)
माचिस का इतिहास बहुत पुराना है। पाँच हजार से अधिक वर्ष पूर्व प्राचीन मिश्र में गंधक में डुबोए गए चीड़ की लकड़ी के छोटे टुकड़े माचिस की तरह उपयोग किए जाते थे। आधुनिक निरापद (safety) माचिस का विकास लगभग दो सौ वर्ष पूर्व हुआ था।
शुरुआत में, ऐन्टिमनी ट्राइसल्फाइड, पोटैशियम क्लोरेट और श्वेत फ़ॉस्फोरस का मिश्रण, कुछ गोंद और स्टार्च के साथ मिला कर उचित लकड़ी से बनी माचिस की तीली के सिरे पर लगाया जाता था। जब इसे किसी खुरदरी सतह से रगड़ा जाता था तो घर्षण की ऊष्मा के कारण श्वेत फ़ॉस्फोरस प्रज्वलित हो उठता था। इससे माचिस की तीली का दहन प्रारम्भ हो जाता था। परंतु, श्वेत फ़ॉस्फोरस माचिस उद्योग में काम करने वालों और माचिस का उपयोग करने वालों, दोनों के लिए खतरनाक सिद्ध हुआ क्योंकि यह बहुत ज्वलनशील और विषैला होता है।
आजकल निरापद माचिस के सिरे पर केवल ऐन्टिमनी ट्राइसल्फाइड और पोटैशियम क्लोरेट लगा रहता है। रगड़ने वाली सतह पर चूर्णित (powdered) काँच और थोड़ा सा लाल फ़ॉस्फोरस लगाते हैं जो कम खतरनाक होता है। जब माचिस की तीली को खुरदरी सतह पर रगड़ा जाता है तो कुछ लाल फ़ॉस्फोरस, श्वेत फ़ॉस्फोरस में परिवर्तित हो जाता है। यह तुरन्त माचिस की तीली के सिरे पर लगे पोटैशियम क्लोरेट से अभिक्रिया कर पर्याप्त ऊष्मा उत्पन्न कर देता है जिससे ऐन्टिमनी ट्राइसल्फाइड का दहन प्रारम्भ हो जाता है।
क्रियाकलाप 4.4: जल की उपस्थिति में ज्वलन-ताप (Ignition Temperature in Presence of Water)
**उद्देश्य:** यह प्रदर्शित करना कि किसी पदार्थ के दहन के लिए उसका ताप, उसके ज्वलन-ताप तक पहुँचना आवश्यक है, और जल इस ताप को नियंत्रित कर सकता है।
**सावधानी:** जलती हुई मोमबत्ती से सावधानी से काम लीजिए।
**सामग्री:** दो कागज़ के कप, 50 mL जल, मोमबत्ती।
**विधि:**
- कागज़ के दो कप तैयार करिए।
- इनमें से एक कप में 50 mL जल डालिए।
- दोनों कपों को अलग-अलग मोमबत्ती द्वारा गर्म करिए (चित्र 4.5)। आप क्या देखते हैं?
**प्रेक्षण:**
- कागज़ का खाली कप तुरंत जल जाता है।
- जल युक्त कागज़ का कप नहीं जलता, बल्कि उसमें रखा जल गर्म हो जाता है। यदि हम कप को गर्म करना जारी रखें, तो हम कागज़ के कप में भी जल को उबाल सकते हैं।
**स्पष्टीकरण:** कागज़ के कप को दी जाने वाली ऊष्मा, चालन (conduction) द्वारा जल में चली जाती है। अतः जल की उपस्थिति में ताप कागज़ के ज्वलन-ताप तक नहीं पहुँच पाता। इसलिए वह जलता नहीं।
ज्वलनशील पदार्थ (Inflammable Substances)
जिन पदार्थों का ज्वलन-ताप बहुत कम होता है और जो ज्वाला के साथ सरलतापूर्वक आग पकड़ लेते हैं, **ज्वलनशील पदार्थ** कहलाते हैं।
- **उदाहरण:** पेट्रोल, ऐल्कोहल, द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG), सीएनजी (CNG) आदि।
हमने पाया कि दाह्य पदार्थ तब तक आग नहीं पकड़ सकता या जल नहीं सकता जब तक उसका ताप उसके ज्वलन-ताप से कम रहता है।
4.2 हम आग पर नियंत्रण कैसे पाते हैं? (How Do We Control Fire?)
आपने घरों, दुकानों और कारखानों में आग लगते देखा या सुना होगा। यदि आपने इस प्रकार की कोई दुर्घटना देखी है तो उसका संक्षिप्त विवरण अपनी नोटबुक में लिखिए। यह अनुभव अपने कक्षा के साथियों के साथ भी बाँटिए।
अपने क्षेत्र की अग्नि सेवा (Fire Service) के टेलीफोन नम्बर का पता लगाइए। यदि आपके या आपके पड़ोसी के घर में आग लग जाए तो सबसे पहले अग्निशमन सेवा को सूचित करिए। यह जरूरी है कि हम सबको अग्निशमन सेवा के टेलीफोन नम्बरों की जानकारी होनी चाहिए।
जब फायर ब्रिगेड आती है तो वह क्या करती है? वह आग पर जल डालती है।
आग बुझाने के सिद्धांत (Principles of Fire Extinguishing)
आग उत्पन्न करने के लिए तीन आवश्यकताएँ होती हैं (इन्हें **अग्नि त्रिकोण – Fire Triangle** कहते हैं):
- **ईंधन (Fuel):** वह पदार्थ जो जलता है।
- **वायु (ऑक्सीजन आपूर्ति हेतु – Oxygen Supply):** दहन के लिए ऑक्सीजन आवश्यक है।
- **ऊष्मा (Heat):** ईंधन का ताप उसके ज्वलन-ताप से अधिक करने हेतु।
इनमें से एक या अधिक आवश्यकताओं को हटाकर आग को नियंत्रित किया जा सकता है। आग बुझाने वाले का कार्य वायु का प्रवाह काटना या ईंधन का ताप कम करना या दोनों होते हैं। ध्यान दीजिए कि अधिकांश स्थितियों में ईंधन को हटाया नहीं जा सकता। उदाहरण के लिए, यदि किसी भवन में आग लगती है तो सम्पूर्ण भवन ही ईंधन होता है।
**कम्बल का उपयोग:** आपने सुना होगा कि जब किसी व्यक्ति के वस्त्र आग पकड़ लेते हैं तो आग बुझाने के लिए व्यक्ति को कम्बल से ढक देते हैं (चित्र 4.3)। ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि कम्बल ऑक्सीजन की आपूर्ति को काट देता है, जिससे आग बुझ जाती है।
अग्निशामक (Fire Extinguishers)
विभिन्न प्रकार की आग बुझाने के लिए विभिन्न अग्निशामकों का उपयोग किया जाता है:
जल (Water)
जल सबसे अधिक प्रचलित अग्निशामक है। जल, ज्वलनशील पदार्थों को ठंडा करता है जिससे उनका ताप उनके ज्वलन ताप से कम हो जाता है। ऐसा करने से आग का फैलना रुक जाता है। जलवाष्p, ज्वलनशील पदार्थ को घेर लेता है जिससे वायु की आपूर्ति बंद हो जाती है और आग बुझ जाती है।
**सीमाएँ:**
- जल तभी कार्य कर पाता है जब लकड़ी और कागज़ जैसी वस्तुओं में आग लगी हो।
- यदि विद्युत् उपकरणों में आग लगी हो तो जल विद्युत् का चालन कर सकता है और आग बुझाने वालों को हानि हो सकती है।
- तेल और पेट्रोल में लगी आग बुझाने हेतु भी जल का उपयोग उचित नहीं होता क्योंकि जल तेल से भारी होता है। अतः यह तेल के नीचे चला जाता है और तेल ऊपर जलता रहता है।
कार्बन डाइऑक्साइड ($CO_{2}$)
विद्युत उपकरण और पेट्रोल जैसे ज्वलनशील पदार्थों में लगी आग के लिए कार्बन डाइऑक्साइड ($CO_{2}$) सबसे अच्छा अग्निशामक है। ऑक्सीजन से भारी होने के कारण $CO_{2}$ आग को एक कम्बल की तरह लपेट लेती है। इससे ईंधन और ऑक्सीजन के बीच सम्पर्क टूट जाता है, अतः आग पर नियंत्रण हो जाता है। $CO_{2}$ का अतिरिक्त लाभ यह है कि सामान्यतः यह विद्युत उपकरणों को कोई हानि नहीं पहुँचाती।
**$CO_{2}$ की आपूर्ति:** उच्च दाब पर यह द्रव के रूप में सिलिंडरों में भरी जा सकती है (जैसे एलपीजी सिलिंडरों में)। सिलिंडर से छोड़े जाने पर $CO_{2}$ बहुत अधिक फैलती है और ठंडी हो जाती है। अतः यह न केवल आग को चारों ओर से घेर लेती है बल्कि ईंधन के ताप को भी नीचे ले आती है। इसीलिए यह अति उत्तम अग्निशामक है।
**अन्य तरीका:** $CO_{2}$ प्राप्त करने का एक दूसरा तरीका, सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा) या पोटैशियम बाइकार्बोनेट जैसे रसायनों के पाउडर का भारी मात्रा में छिड़काव है। आग के निकट इन पदार्थों से बहुत सी कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है जो आग बुझा देती है।
4.3 दहन के प्रकार (Types of Combustion)
दहन विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो पदार्थ और परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं:
तीव्र दहन (Rapid Combustion)
इस प्रकार के दहन में पदार्थ तेज़ी से जलने लगता है और ऊष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न करता है।
- **उदाहरण:** एक जलती हुई माचिस की तीली अथवा गैस लाइटर को रसोई में गैस स्टोव के निकट लाइए। गैस स्टोव की घुंडी (नॉब) घुमाकर गैस चालू कर दीजिए। आप देखेंगे कि गैस तेज़ी से जलने लगती है तथा ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करती है।
स्वतः दहन (Spontaneous Combustion)
इस प्रकार का दहन जिसमें पदार्थ, बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के, अचानक लपटों के साथ जल उठता है, स्वतः दहन कहलाता है।
- **उदाहरण:** फ़ॉस्फोरस जैसे कुछ पदार्थ हैं जो कमरे के ताप पर वायु में जल उठते हैं।
- **खतरनाक घटनाएँ:** कोयले की खानों में कोयले की धूल के स्वतः दहन से कई बार खतरनाक अग्निकाण्ड हो चुके हैं। जंगल के स्वतः अग्निकाण्ड कभी अधिक गर्मी के कारण होते हैं, कभी आकाश से बिजली गिरने से होते हैं। परन्तु जंगल में आग अधिकतर मनुष्य की लापरवाही से लगती है (जैसे पिकनिक या शिविर के बाद आग को ठीक से न बुझाना)।
इस प्रकार की आग को बुझाना बहुत कठिन होता है।
विस्फोट (Explosion)
जब पटाखे को जलाते हैं तो एक आकस्मिक अभिक्रिया होने से ऊष्मा, प्रकाश और ध्वनि पैदा होती है। अभिक्रिया में बनी गैस बड़ी मात्रा में निकलती है। इस प्रकार की अभिक्रिया **विस्फोट** कहलाती है। पटाखे पर दाब डालने पर भी विस्फोट हो सकता है।
- यह बहुत तेज़ी से होता है और बड़ी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है।
4.4 ज्वाला (Flame)
एलपीजी ज्वाला का प्रेक्षण करिए। क्या आप ज्वाला का रंग बता सकते हैं? एक मोमबत्ती की ज्वाला का रंग कैसा होता है? कक्षा VII के मैग्नीशियम रिबन को जलाने के अपने अनुभव को याद करिए।
अपने प्रेक्षण रिकार्ड करिए और सारणी में लिखिए कि पदार्थ ज्वाला देता है या नहीं।
क्र.सं. | पदार्थ | ज्वाला देता है | ज्वाला नहीं देता |
---|---|---|---|
1 | मोमबत्ती | ✔ | |
2 | मैग्नीशियम रिबन | ✔ | |
3 | काष्ठ-कोयला | ✔ | |
4 | केरोसिन स्टोव | ✔ | |
5 | एलपीजी (LPG) | ✔ |
**निष्कर्ष:** ज्वाला उन पदार्थों द्वारा उत्पन्न होती है जो दहन के दौरान वाष्पित होते हैं। उदाहरण के लिए, मोमबत्ती की लौ मोम के वाष्पीकरण के कारण बनती है।
4.5 ज्वाला की संरचना (Structure of a Flame)
मोमबत्ती की ज्वाला का प्रेक्षण करिए। क्या आप इसकी संरचना का वर्णन कर सकते हैं?
मोमबत्ती की ज्वाला के विभिन्न क्षेत्र होते हैं:
- **अदीप्त क्षेत्र (Non-luminous Zone):** यह ज्वाला का सबसे भीतरी क्षेत्र होता है, जो काला दिखाई देता है। यहाँ दहन नहीं होता क्योंकि ऑक्सीजन की आपूर्ति बहुत कम होती है। यह मोम के बिना जले हुए वाष्पों का क्षेत्र है।
- **दीप्त क्षेत्र (Luminous Zone):** यह ज्वाला का मध्य भाग होता है और पीला दिखाई देता है। यहाँ मोम के कणों का अपूर्ण दहन होता है, जिससे कार्बन के कण चमकते हैं और प्रकाश उत्पन्न करते हैं। यह ज्वाला का सबसे बड़ा भाग होता है।
- **ज्योतिहीन क्षेत्र (Non-luminous/Outermost Zone):** यह ज्वाला का सबसे बाहरी क्षेत्र होता है और नीला दिखाई देता है। यहाँ पूर्ण दहन होता है क्योंकि ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त होती है। यह ज्वाला का सबसे गर्म भाग होता है। सुनार इस क्षेत्र का उपयोग धातुओं को पिघलाने के लिए करते हैं क्योंकि यह सबसे गर्म क्षेत्र होता है।
4.6 ईंधन क्या है? (What is Fuel?)
अच्छे ईंधन के गुण:
- यह आसानी से उपलब्ध हो।
- यह सस्ता हो।
- यह मध्यम दर से जलता हो।
- यह बड़ी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता हो।
- यह जलने के बाद कोई अवांछित पदार्थ न छोड़ता हो।
- यह आसानी से परिवहन योग्य हो।
- इसका ज्वलन-ताप उचित हो।
ईंधन विभिन्न रूपों में उपलब्ध होते हैं:
क्र.सं. | ठोस ईंधन | द्रव ईंधन | गैसीय ईंधन |
---|---|---|---|
1 | लकड़ी | मिट्टी का तेल | प्राकृतिक गैस |
2 | कोयला | पेट्रोल | एलपीजी (LPG) |
3 | काष्ठ-कोयला | डीज़ल | बायोगैस |
4.7 ईंधन दक्षता (Fuel Efficiency)
किसी ईंधन के 1 kg के पूर्ण दहन से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा उसका **ऊष्मीय मान (Calorific Value)** कहलाती है। ईंधन के ऊष्मीय मान को किलो जूल प्रति kg (kJ/kg) मात्रक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
ईंधन | ऊष्मीय मान (kJ/kg) |
---|---|
गोबर के उपले | 6000-8000 |
लकड़ी | 17000-22000 |
कोयला | 25000-33000 |
पेट्रोल | 45000 |
केरोसिन | 45000 |
डीज़ल | 45000 |
मीथेन | 50000 |
CNG | 50000 |
LPG | 55000 |
बायोगैस | 35000-40000 |
हाइड्रोजन | 150000 |
हाइड्रोजन गैस का ऊष्मीय मान सबसे अधिक होता है।
ईंधन के दहन के हानिकारक उत्पाद (Harmful Products of Fuel Combustion)
- **कार्बन ईंधन:** लकड़ी, कोयला, पेट्रोल जैसे कार्बन ईंधन बिना जले कार्बन कण छोड़ते हैं, जो दमा जैसे श्वसन रोगों का कारण बनते हैं।
- **कार्बन मोनोऑक्साइड:** ईंधन का अपूर्ण दहन कार्बन मोनोऑक्साइड गैस देता है, जो एक विषैली गैस है। बंद कमरों में कोयला जलाना खतरनाक होता है क्योंकि इससे व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
- **कार्बन डाइऑक्साइड:** अधिकांश ईंधनों के दहन से कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है। वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती सांद्रता से ग्लोबल वार्मिंग होती है।
- **अम्ल वर्षा:** कोयले और डीज़ल के दहन से सल्फर डाइऑक्साइड गैस निकलती है। पेट्रोल इंजन नाइट्रोजन के ऑक्साइड छोड़ते हैं। सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड वर्षा जल में घुल जाते हैं और अम्ल वर्षा बनाते हैं, जो फसलों, भवनों और मृदा के लिए हानिकारक है।
डीज़ल और पेट्रोल के स्थान पर CNG (संपीडित प्राकृतिक गैस) का उपयोग करना अधिक बेहतर है क्योंकि CNG कम हानिकारक उत्पाद छोड़ती है।